पत्रकार पवन त्रेहण से दुकानों के नाज़ायज कबजे छुड़ाने के अदालत ने दिए आदेश

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पत्रकारिता की आड़ मे एनआरआई के साथ मिल कर 20 साल से कर रखा था दुकानों पर नाज़ायज़ कबजा

बटाला, 27 जनवरी (लखन पाल) पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है, लोगों की पत्रकार से उममीद होती है कि वह उनकी आवाज़ को बुलंद करके सरकार व प्रशासन के कानों तक पहुंचा कर उनको इंसाफ दिलाए। लेकिन समाज के कुछ ऐसे शरारती अनसर भी हैं जो सिर्फ पैसे इकट्ठे करने व अपनी संपत्ति बनाने के चककर में पत्रकारिता का मुखौटा पहने हुए है ऐसा ही एक वाकया बटाला में देखने को मिल रहा है जहां एक पत्रकार ने पत्रकारिता की आड़ में पिछले करीब 20 साल दुकानों पर कबजा रखा हुआ है। अपनी दुकानों से कबजा छुड़ाने के लिए उकत पीडि़त को माननीय अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा जहां अदालत की ओर से उकत पीडि़त को इंसाफ देते हुए स्थानीय पुलिस निर्देश दिये हैं कि पुलिस उकत पत्रकार से दुकानों के नाज़ायज कबजे छुड़ाए जाएं ।

इस संबंध में जानकारी देते हुए बटाला निवासी पीडि़त राकेश सोनी ने बताया कि एक पंजाबी अखबार के पत्रकार पवन त्रेहण द्वारा एक एनआरआई के साथ मिल कर झूठे कागज तैयार करवा कर समाध रोड पर अपने घर के पास लगती दुकानों पर नाज़ायज कबजा कर लिया जब उसने उसे ऐसा करने से रोका तो उसने उसे डराया धमकाया व धमकीयां देने लगा। इस संबंध में उसकी ओर से माननीय अदालत का दरवाजा खटखटाया गया, जहां माननीय अदालत ने मेरे पक्ष में फैसला सुनाते हुए स्थानीय पुलिस को आदेश दिए हैं कि पत्रकार पवन त्रेहण से जल्द समाध रोड वाली दुकानों के नाज़ायज कबजे छुड़ाए जाएं व उसके खिलाफ बनती कार्रवाई की जाए। सोनी ने आगे बताया कि पत्रकार पवन त्रेहण ने उसको अपना हक मांगने से पीछे करने के लिए अपनी पत्रकारिता की धौंस जमाते हुए उसे और जहां तक कि उसकी बुजुर्ग माता को भी झूठे मामलों में फंसाया जो अदालत में जाकर झूठे साबित हुए ।

गौरतलब है कि पत्रकार पवन त्रेहण अकसर विवादों मे घिरा रहता है , पिछले समय भी पत्रकार पवन त्रेहण के खिलाफ नकली सीडी कापीराइट का मामला भी चर्चा का विषय बना रहा है।

 

 

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